बुंदेलखंड के किसान एक बार फिर अपनी परंपरागत कृषि तकनीकों की ओर लौटते हुए जंगली आलू (रत आलू) की खेती कर रहे हैं। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि कम संसाधनों में अधिक मुनाफा भी दे रही है। खास बात यह है कि यह फसल बिना खाद, पानी और उन्नत तकनीक के भी बेहतरीन उत्पादन देती है।
जंगली आलू क्या है?
यह एक प्रकार का विदारीकंद है, जिसे बुंदेलखंड में ‘कंद अंगीठा’ या ‘रत आलू’ के नाम से जाना जाता है। यह मूलतः एक जंगली कंद है जो पथरीली और बंजर जमीन में भी उगता है।
श्रेणी | विवरण |
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हिंदी नाम | जंगली आलू, रत आलू, कंद अंगीठा, विदारीकंद |
अंग्रेजी नाम | Indian Kudzu, Wild Yam, Wild Potato |
बॉटनिकल नाम | Pueraria tuberosa |
कुल (Family) | Fabaceae (मटर कुल) |
उत्पत्ति क्षेत्र | भारत (विशेषकर बुंदेलखंड, मध्य भारत) |
प्रयोग | उपवास आहार, अचार, मुरब्बा, औषधीय, टॉनिक के रूप में |
खासियत | बिना खाद-पानी, पथरीली जमीन में उगने वाली, भारी कंद वाली |
जंगली आलू से कमाई का गणित
मापदंड | विवरण |
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भूमि की आवश्यकता | 1 एकड़ |
बीज आकार | 50 ग्राम (एक कंद) |
उत्पादन क्षमता | 200 क्विंटल/एकड़ तक |
थोक बाजार भाव | ₹30/किलो तक |
रिटेल बाजार भाव | ₹40–60/किलो तक |
कुल संभावित लाभ | ₹4 लाख/एकड़ तक |
विशेषताएँ जो इसे खेती के लिए आदर्श बनाती हैं:
- ✅ बिना सिंचाई के भी उगता है
- ✅ पथरीली/कमजोर मिट्टी में अच्छा उत्पादन
- ✅ फसल की सुरक्षा में कोई रासायनिक छिड़काव नहीं चाहिए
- ✅ फसल को जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते
- ✅ उपवास और औषधीय उपयोग में आता है
कैसे करें इसकी खेती? – कृषि विशेषज्ञ की सलाह
आकाश चौरसिया, सागर जिले के प्रसिद्ध मल्टी लेयर फार्मिंग विशेषज्ञ, बताते हैं:
“यदि आप 50 ग्राम का छोटा कंद लगाते हैं, तो एक सीजन में उससे 10–15 किलो तक का कंद तैयार हो जाता है। अगर इसकी नियमित खेती की जाए, तो एक एकड़ से ₹4 लाख तक की आमदनी हो सकती है।”
कहां लगाएं ? – आपकी जमीन चाहे जैसी हो…
- पथरीली और सूखी जमीन: सबसे उपयुक्त
- आम के बगीचे या खेत की मेड़: जहां धूप और छांव का मिश्रण हो
- वन क्षेत्रों के आसपास: ट्राइबल क्षेत्रों के लिए खास अवसर
प्रसंस्करण और बाजार में मांग
जंगली आलू से बनने वाले उत्पाद:
- अचार
- मुरब्बा
- डिहाइड्रेटेड आटा
- उपवास आहार
उद्योगों और आयुर्वेदिक कंपनियों में इसकी भारी मांग है।
FAQ (Frequently Asked Questions)
Q1. क्या जंगली आलू की खेती घर के बगीचे में भी की जा सकती है?
हाँ, यदि छायायुक्त स्थान है और मिट्टी थोड़ी हल्की है, तो इसकी खेती घर पर भी संभव है।
Q2. इसके बीज कहां से मिलते हैं?
स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय, कृषि मेले, या आकाश चौरसिया जैसे फार्मिंग विशेषज्ञों से संपर्क कर सकते हैं।
Q3. क्या यह ऑर्गेनिक खेती में आता है?
हाँ, क्योंकि इसमें किसी प्रकार का रसायन या उर्वरक नहीं लगता।
निष्कर्ष: कम लागत, ज्यादा मुनाफा – यही है जंगली आलू की ताकत !
आज जब किसान खाद, बीज और सिंचाई की लागत से परेशान हैं, ऐसे में जंगली आलू एक उम्मीद की किरण है। यह पारंपरिक फसल न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से अनुकूल है, बल्कि आर्थिक रूप से भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
क्या आप भी अपनी बंजर जमीन को सोना बनाना चाहते हैं?
तो जंगली आलू की खेती शुरू करें और पाएं अधिक उत्पादन, कम लागत और भारी मुनाफा !
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