नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल ने पशुपालन क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। पहली बार देश में क्लोन गिर गाय ‘गंगा’ के अंडाणुओं के माध्यम से एक दूसरी गाय ने एक स्वस्थ बछड़ी को जन्म दिया है। इस सफलता ने भारत के डेयरी क्षेत्र, पशु प्रजनन और नस्ल सुधार की दिशा में नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।
इस शोध ने केवल एक नई ‘मल्टीप्लिकेशन टेक्नोलॉजी’ को गति नहीं दी, बल्कि बेहतर नस्लों के तीव्र विकास, दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी और पशु प्रजनन की प्रक्रिया को तेज करने जैसे कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव का संकेत दिया है। ‘गंगा’ से जन्मी यह क्लोन बछड़ी न केवल एक वैज्ञानिक सफलता है, बल्कि भारतीय देशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में भी मील का पत्थर मानी जा रही है।
वैज्ञानिक उपलब्धि जिसने रचा इतिहास
भारत ने एक और ऐतिहासिक वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है – देश की पहली क्लोन गिर गाय (Cloned Gir Cow) से एक स्वस्थ बछड़ी का जन्म हुआ है। यह सफलता न केवल पशुपालन के क्षेत्र में मील का पत्थर है, बल्कि डेयरी सेक्टर के लिए भी नई ऊर्जा और संभावनाओं का संकेत देती है।
यह बछड़ी, नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल में जन्मी है, जो भारत का प्रमुख दुग्ध अनुसंधान संस्थान है। इस परियोजना का उद्देश्य था – श्रेष्ठ नस्लों के संरक्षण के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि।
गंगा: भारत की पहली क्लोन गिर गाय
नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल द्वारा विकसित की गई देश की पहली क्लोन गिर गाय ‘गंगा’ न केवल एक वैज्ञानिक चमत्कार है, बल्कि भारतीय डेयरी क्षेत्र के भविष्य की उम्मीद भी बन चुकी है। गंगा का जन्म 16 मार्च 2023 को हुआ था और तब से उसकी सेहत, व्यवहार, दूध उत्पादन क्षमता, और जैविक गतिविधियों की गहन निगरानी की जा रही है। अब तक के परीक्षणों में गंगा पूरी तरह स्वस्थ और सक्षम साबित हुई है।
क्लोनिंग क्या है और यह कैसे की जाती है?
क्लोनिंग (Cloning) एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें किसी जीव की सटीक आनुवंशिक प्रति (genetic copy) तैयार की जाती है। इसमें सबसे प्रसिद्ध तकनीक है – Somatic Cell Nuclear Transfer (SCNT)।
इस प्रक्रिया में:
- किसी श्रेष्ठ नस्ल (जैसे गिर गाय) की कोशिका ली जाती है।
- उसका न्यूक्लियस निकाल कर, एक खाली डोनर अंडाणु (egg cell) में प्रत्यारोपित किया जाता है।
- फिर उसे विद्युत प्रवाह (electric shock) से सक्रिय कर भ्रूण विकसित किया जाता है।
- अंततः इसे एक “सरोगेट” मां (गर्भधारण करने वाली गाय) में प्रत्यारोपित किया जाता है।
यही तकनीक डॉली भेड़ (Dolly the Sheep) के लिए भी प्रयोग की गई थी – दुनिया की पहली क्लोन स्तनपायी।
गिर गाय क्यों है विशेष ?
गिर नस्ल भारत की प्रमुख देशी दूधारू गाय नस्लों में से एक है। इसका मूल स्थान गुजरात के गिर जंगल हैं। गिर गाय की विशेषताएं:
- प्रतिदिन औसतन 12–15 लीटर तक दूध देने की क्षमता
- दूध में अधिक मात्रा में ए2 बीटा-कैसिन प्रोटीन, जो पाचन के लिए उत्तम माना जाता है
- बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता
- लंबी उम्र और शुद्ध देशी रक्त रेखा
इन्हीं गुणों के कारण वैज्ञानिकों ने इस नस्ल को क्लोनिंग के लिए चुना।
भारत में डेयरी उद्योग की स्थिति
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। लेकिन बढ़ती आबादी और घटती उत्पादकता को देखते हुए देशी नस्लों के संरक्षण और सुधार की आवश्यकता है।
बिंदु | आँकड़े |
---|---|
भारत में कुल दूध उत्पादन (2022) | 220 मिलियन टन |
गिर गाय की औसत उत्पादकता | 12–15 लीटर/दिन |
विदेशी नस्लों की निर्भरता | 40% से अधिक |
इस क्लोनिंग सफलता से भारत में देशी नस्लों की संख्या और गुणवत्ता दोनों में सुधार संभव है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य: क्लोनिंग की दुनिया में स्थिति
- अमेरिका: Holstein नस्ल की क्लोनिंग से डेयरी में सुधार
- ब्राज़ील: जर्सी गाय की क्लोनिंग से दूध उत्पादन में क्रांति
- चीन: बड़ी मात्रा में क्लोन पशुओं का उत्पादन और परीक्षण
भारत की यह सफलता इसे वैश्विक डेयरी टेक्नोलॉजी मानचित्र पर एक मजबूत स्थान दिलाएगी।
नैतिक और कानूनी प्रश्न
जहां एक ओर यह वैज्ञानिक चमत्कार है, वहीं कुछ नैतिक और सामाजिक प्रश्न भी उठते हैं:
- क्या क्लोनिंग प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ेगी?
- क्या क्लोन पशुओं का स्वास्थ्य समान होगा?
- उपभोक्ताओं की स्वीकार्यता क्या होगी?
भारतीय सरकार ने इस प्रयोग को अनुसंधान सीमाओं में स्वीकृति दी है और आगे इसे नियमित नीति से जोड़ने की तैयारी कर रही है।
डेयरी किसानों के लिए संभावनाएं
क्लोनिंग से लाभ:
- अधिक दूध देने वाली गायों की संख्या में वृद्धि
- दुग्ध उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा दोनों का सुधार
- छोटे किसानों को देशी नस्लों तक आसान पहुंच
- रोग प्रतिरोधी पशुओं की वृद्धि
सरकार, ICAR-NDRI और अन्य संस्थाएं यदि इसे ग्रामीण स्तर तक पहुंचाने में सफल होती हैं, तो यह एक दूसरी श्वेत क्रांति बन सकती है।
9 महीने की अहम समय बचत – वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता
आमतौर पर किसी गाय को हीट में आने से लेकर बछड़े के जन्म तक 33 से 36 महीने लगते हैं, लेकिन गंगा ने इस प्रक्रिया को केवल 27 महीनों में पूरा कर लिया। यानी करीब 9 महीने की महत्वपूर्ण समय की बचत हुई – जो पशुपालन क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इससे तेजी से नस्ल संवर्धन और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि संभव हो सकेगी।
मात्र 18 महीने में हीट में आई ‘गंगा’ – बना शोध का केंद्र
वैज्ञानिकों को उस समय आश्चर्य हुआ जब गंगा केवल 18 महीने की उम्र में ही हीट में आ गई। इस दौरान Ovum Pick-Up (OPU) तकनीक के माध्यम से उससे 50 अंडाणु प्राप्त किए गए। इनसे 12 भ्रूण तैयार किए गए जिन्हें पांच अलग-अलग नस्लों की गायों में प्रत्यारोपित किया गया।
साहीवाल गाय से जन्मी गिर नस्ल की क्लोन बछड़ी
इन वैज्ञानिक प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि एक साहीवाल नस्ल की गाय ने एक स्वस्थ गिर नस्ल की बछड़ी को जन्म दिया। यह बछड़ी केवल एक प्रयोगात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि देश के दुग्ध उत्पादन और पशुधन विकास की दिशा में एक नई शुरुआत है।
नई बछड़ी के नाम पर हो रहा विचार-विमर्श
अब NDRI द्वारा इस नई बछड़ी के नामकरण को लेकर विचार किया जा रहा है। यह बछड़ी केवल एक वैज्ञानिक प्रयोग की उपज नहीं है, बल्कि यह देशी नस्लों के संरक्षण, पशुपालन के आधुनिकीकरण, और डेयरी सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रेरणास्रोत बनकर उभरी है।
गंगा और उसकी बछड़ी भारत के पशुपालन क्षेत्र को एक नई दिशा और गति देने जा रही हैं। यह शोध न केवल देशी नस्लों के पुनरुत्थान की नींव है, बल्कि भारत को आने वाले वर्षों में दुग्ध उत्पादन में वैश्विक अग्रणी बनाने की क्षमता भी रखता है।
FAQ: People Also Ask FAQ
Q1. भारत में पहली क्लोन गिर गाय कौन है?
उत्तर: भारत की पहली क्लोन गिर गाय का नाम ‘गंगा’ है। इसे नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NDRI), करनाल द्वारा क्लोनिंग तकनीक से विकसित किया गया है।
Q2. गिर गाय की क्लोनिंग से क्या लाभ होगा?
उत्तर: गिर गाय की क्लोनिंग से दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा, श्रेष्ठ नस्लों की संख्या में वृद्धि होगी, पशु प्रजनन की प्रक्रिया तेज होगी, और देशी नस्लों का संरक्षण भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।
Q3. क्लोन गिर गाय ‘गंगा’ से जन्मी बछड़ी का क्या महत्व है?
उत्तर: यह पहली बार है जब एक क्लोन गिर गाय से बछड़ी का जन्म हुआ है। यह उपलब्धि भारत के डेयरी क्षेत्र में प्रजनन तकनीक और दूध उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Q4. क्लोनिंग तकनीक क्या है और यह कैसे काम करती है?
उत्तर: क्लोनिंग तकनीक में एक श्रेष्ठ नस्ल की कोशिका से DNA निकालकर एक खाली अंडाणु में डाला जाता है। फिर उस भ्रूण को एक सरोगेट मां में प्रत्यारोपित किया जाता है जिससे एक जेनेटिकली समान पशु जन्म लेता है।
Q5. भारत में किस संस्था ने क्लोन गिर गाय का विकास किया है?
उत्तर: भारत में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI), करनाल ने क्लोन गिर गाय का सफलतापूर्वक विकास और उससे बछड़ी का जन्म करवाया है।
Q6. क्या क्लोनिंग से पशुओं की सेहत पर असर पड़ता है?
उत्तर: अब तक के शोध में क्लोन पशु सामान्य गायों की तरह ही स्वस्थ पाए गए हैं। हालांकि, दीर्घकालीन असर को लेकर वैज्ञानिक सतर्कता बरत रहे हैं और नियमित परीक्षण किए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
भारत की यह ऐतिहासिक उपलब्धि – क्लोन गिर गाय से बछड़ी का जन्म – न केवल विज्ञान की एक बड़ी जीत है, बल्कि यह भारत के ग्रामीण विकास, दुग्ध उत्पादन और देशी नस्ल संरक्षण के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है। यह पहल भारत को न केवल दूध उत्पादन में अग्रणी बनाएगी, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान में भी अग्रिम पंक्ति में लाएगी।
क्या आप चाहते हैं कि यह तकनीक गांव-गांव पहुंचे ? नीचे कमेंट में बछड़ी का नाम सुझावें।
वैज्ञानिक स्रोत और संदर्भ
- ICAR – National Dairy Research Institute (NDRI), Karnal
- Singh et al., Cloning of Indigenous Cattle in India: A Scientific Review, Journal of Animal Biotechnology, 2024
- FAO Dairy Statistics, 2023
- Department of Animal Husbandry & Dairying, Government of India Reports (2022-24)
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