खेती-बाड़ी (Agriculture)

हमारे देश भारत में खेती-बाड़ी (Agriculture) एक महत्वपूर्ण और प्रमुख कृषि गतिविधि है जो देश की आर्थिक विकास और जनसंख्या की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खेती से विभिन्न फसलों का उत्पादन, पशुपालन, मछली पालन, और सागरीक उत्पादों का उत्पादन शामिल होता है। भारत में खेती-बाड़ी (Agriculture ) बहुत सारे किसानों द्वारा छोटे स्तर पर अपनी जमीनों पर आधारित होती है। किसानों के पास विभिन्न प्रकार की जमीन, जल, और प्राकृतिक संसाधन होते हैं जिन्हें वे उत्पादन के लिए उपयोग करते हैं। उन्हें बीज, खाद, पेयजल, और अन्य कृषि सामग्री की आपूर्ति करनी पड़ती है। उन्हें उपयुक्त फसल प्रबंधन, रोगनियंत्रण , कीटनाशकों का उपयोग, और समय पर फसलों की कटाई करनी पड़ती है। भारतीय किसान अपनी खेती को अपनी पारंपरिक ज्ञान, तकनीकी ज्ञान, और सरकारी योजनाओं की मदद से संचालित करते हैं। खेती-बाड़ी (Agriculture) एक प्रकार की खेती है जिसमें छोटे-मध्यम स्तर के किसानों द्वारा छोटे भूमि पर फसलों का उत्पादन किया जाता है।

हमारे देश में खेती एक पारंपरिक तरीका है जिसमें परंपरागत ज्ञान, कौशल, और स्थानीय विधानों का प्रयोग किया जाता है। खेती बाड़ी का मुख्य उद्देश्य खेती उत्पादन को रोजगरपरक और स्वावलंबी बनाना होता है। खेती बाड़ी में छोटे-मध्यम स्तर के किसान लघु और सीमान्त किसान अपनी छोटी भूमि के उपयोग से आर्थिक विकास करने का प्रयास करते हैं। इसमें विविधता का उपयोग किया जाता है जैसे कि बागवानी, पशुपालन एवं अन्य पर्यावरण और आर्थिक गतिविधियों को शामिल किया जाता है। उन्नत खेती करने के लिए आप निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकते हैं –

भूमि का चयन : अपने खेती के लिए उचित और उपयुक्त भूमि का चयन करें । जलवायु, मिट्टी की गुणवत्ता, और समृद्धि के आधार पर भूमि का मूल्यांकन करें।

फसल का चयन : उन फसलों का चयन करें जिनका आपके क्षेत्र में उत्पादन संभव होता है और जिनका बाजार में मांग है। खेती के लिए वैज्ञानिक जानकारी, विशेषज्ञ सलाह और स्थानीय अनुभव का सहारा लें।

बीज और खाद की आपूर्ति : अच्छी गुणवत्ता वाले बीज और उचित खाद की आपूर्ति करें। स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह लें और उचित विधि का अनुसरण करें।

पानी प्रबंधन : समय पर सिंचाई का आयोजन करें और पानी की संरचना और बचत के लिए उचित तंत्र स्थापित करें। वर्षा जल संचयन की तकनीकों का उपयोग करें और पानी के बर्बाद होने से बचें।

कीट और रोग नियंत्रण : अपनी फसलों को कीटों और रोगों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाओं का समय समय पर छिड़काव करते रहें।

सहकारी बैंक ( Co-Operative Bank) – एक विशेष प्रकार का बैंक होता है जो किसानों को कृषि विकास के लिए वित्तीय सहायता और सेवाएं प्रदान करता है। जैसे – भूमि विकास बैंक , क्रय -विक्रय सहकारी बैंक आदि । इन बैंकों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करके उनकी खेती को बढ़ावा देना होता है। बैंक आमतौर पर किसानों के लिए ऋण, जमा योजनाएं, बीमा, और वित्तीय सलाह प्रदान करते हैं। सहकारी बैंक के माध्यम से किसानों को ऋण प्राप्त करने की सुविधा मिलती है, जिसे वे उनकी खेती के लिए उपयोग कर सकते हैं। इन ऋणों का उपयोग बीज, खाद, कृषि उपकरण, सिंचाई प्रणाली, और अन्य खेती संबंधित खर्चों के लिए किया जाता है। ऋण भुगतान की अवधि और शर्तें बैंक की नीतियों के अनुसार होती हैं। खेती बैंक द्वारा जमा योजनाएं भी प्रदान की जाती हैं, जिससे किसान अपनी बचत कर सकते हैं और उन्हें सुरक्षित वित्तीय सुविधा मिलती है।

जैविक खेती (Orgenic farming) – यह खेती का एक प्राकृतिक तरीका है जिसमें प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके फसलों का उत्पादन किया जाता है। इसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक, हर्बिसाइड और उर्वरक के उपयोग की बजाय प्राकृतिक तत्वों का उपयोग किया जाता है जैसे कि जैविक खाद, जैविक कीटनाशक, पानी प्रबंधन तकनीक, और प्राकृतिक संसाधनों की संरचना। जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के साथ संतुलित संबंध बनाना है और उत्पादन के लिए प्राकृतिक प्रक्रियाओं का उपयोग करना है। इसके लिए जैविक खेती में खेती की जमीन की गुणवत्ता को सुरक्षित करने के लिए भूमि की संरचना, मिट्टी की गर्मी और उम्र की संरक्षण, जैविक जीवाश्म और कम्पोस्ट का उपयोग, वातावरणीय संरक्षण के उपायों का पालन और प्राकृतिक बायोडायवर्सिटी का उपयोग किया जाता है ।

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