भारत में ड्रैगन फ्रूट: द नेक्स्ट कैश क्रॉप ऑफ इंडिया
ड्रैगन फ्रूट (Pitaya/Hylocereus undatus), जिसे “सुपरफ्रूट” की कैटेगरी में रखा जाता है, भारत में हॉर्टिकल्चर सेक्टर का गेम चेंजर बन रहा है। इसकी हाई-वैल्यू, लो-मेंटेनेंस और एक्सपोर्ट-ओरिएंटेड नेचर ने इसे प्रोग्रेसिव किसानों के लिए प्रीमियम चॉइस बना दिया है।Dragon Fruit Farming से किसान ₹8 लाख/एकड़ तक का मुनाफा कमा रहे है। ड्रैगन फ्रूट, जिसे स्थानीय भाषा में “कमलम” या “पिताया” भी कहा जाता है, भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई उम्मीद की किरण बनकर उभरा है।
Discover Farming के इस आर्टिकल में हम ड्रैगन फ्रूट की खेती के आर्थिक फायदों, सफल किसानों की कहानियों, खेती की तकनीक, और बाजार के अवसरों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हाइलाइट्स –
✔ प्रॉफिट मार्जिन: ₹5-8 लाख/एकड़ (डोमेस्टिक और इंटरनेशनल मार्केट)
✔ वाटर एफिशिएंसी: केवल 20% पानी की आवश्यकता (पारंपरिक फसलों की तुलना में)
✔ मार्केट ग्रोथ: 45% CAGR (2018-2023) – APEDA डाटा
1. ड्रैगन फ्रूट की खेती क्यों है फायदेमंद ?
कम लागत, अधिक मुनाफा
- ✅ लॉन्ग-टर्म इनकम:: ड्रैगन फ्रूट के पौधे एक बार लगाने के बाद 20-25 साल तक फल देते हैं। (ROI 300-500%)
- ✅कम पानी की आवश्यकता: यह कैक्टस प्रजाति का पौधा है, जिसे सूखे इलाकों में भी उगाया जा सकता है। 10°C से 40°C तक (आदर्श: 20-35°C), ड्रॉट-टॉलरेंट: CAM (Crassulacean Acid Metabolism) photosynthesis
- ✅उच्च बाजार मूल्य: थोक बाजार में ₹100-300/किलो और रिटेल में ₹400-600/किलो तक कीमत मिलती है। Export: $5-8/kg (Middle East/Europe)
- ✅ गवर्नमेंट सब्सिडी: 50% तक अनुदान (NHM स्कीम अंतर्गत)
घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग

- भारत में ड्रैगन फ्रूट की मांग 2017 से 2021 के बीच 327 टन से बढ़कर 15,491 टन हो गई है ।
- यूएई, यूरोप और दक्षिण-पूर्व एशिया में इसकी भारी मांग है, जिससे निर्यात के अवसर बढ़े हैं ।
ड्रैगन फ्रूट की खेती क्यों फायदेमंद है ?
फायदे | विवरण |
---|---|
🌱 एक बार लगाएं, 25 साल तक फल पाएँ | पौधा 20–25 साल तक उपज देता है |
💸 प्रति एकड़ ₹6-8 लाख तक सालाना मुनाफा | बाजार भाव ₹200-₹400/kg तक |
🚰 कम पानी की जरूरत | सूखा इलाकों में भी उपयुक्त |
🛡 रोग-प्रतिरोधक और कम खर्चीली देखभाल | जैविक खेती के लिए उपयुक्त |
📈 विदेशी और घरेलू बाजार में भारी मांग | निर्यात के अवसर |
2. सक्सेस केस स्टडीज: रियल फार्मर्स, रियल प्रॉफिट्स
केस 1: टेक-सेवी फार्मर (महाराष्ट्र)
नाम: संजय पाटिल (नाशिक)
मॉडल
- 5 एकड़ में precision farming
- IoT-based drip irrigation
- डायरेक्ट एक्सपोर्ट (यूएई
- रिजल्ट:
- ₹37 लाख annual turnover
- 65% net profit margin
केस 2: वूमेन एंटरप्रेन्योर (कर्नाटक)
नाम: लक्ष्मी देवी (बेंगलुरु रूरल)
इनोवेशन:
- वर्टिकल फार्मिंग (0.5 एकड़ में 2000 प्लांट्स)
- ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन (जैविक खेती)
अचीवमेंट: - ₹12 लाख/सीजन
- BigBasket के साथ टाइ-अप
केस 3. दिगंबर चव्हाण (महाराष्ट्र)
- एक साल में ₹2.5 लाख की कमाई: सोलापुर के इस किसान ने 1 एकड़ में 200 पौधे लगाए और पहली ही फसल से ₹2.5 लाख कमाए ।
- बाजार: मुंबई, पुणे और कोल्हापुर के बाजारों में थोक भाव ₹100-150/किलो मिला।
4. दानुभाई सोलंकी (गुजरात)
- 20 बीघे से ₹80,000 की आय: भावनगर के इस किसान ने केवल ₹20,000 की लागत से ड्रैगन फ्रूट उगाकर ₹80,000 कमाए ।
- बेचने का तरीका: सूरत और अहमदाबाद के बाजारों में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया।
5. रेमाबाई (केरल)
- छत पर बिना मिट्टी की खेती: रिटायर्ड टीचर ने अपने घर की छत पर प्लास्टिक बैरल में ड्रैगन फ्रूट उगाकर ₹1 लाख/माह कमाए ।
- यूट्यूब से ज्ञान बांटना: उनका YouTube चैनल “जेसीज वर्ल्ड” किसानों को प्रेरित कर रहा है।
3. ड्रैगन फ्रूट की खेती: साइंटिफिक कल्टिवेशन गाइड (रिसर्च-बेस्ड)

1. जलवायु और मिट्टी
- आदर्श तापमान: 20-35°C (40°C से अधिक तापमान पर फंगस का खतरा) ।
- मिट्टी: रेतीली दोमट मिट्टी (pH 5.5-7.5) जिसमें जल निकासी अच्छी हो ।
- सॉइल टेस्टिंग: EC <1.5 dS/m, pH 5.5-7.0
2. पौधे लगाने की विधि
- कटिंग से खेती: 30-50 सेमी लंबी कटिंग को छाया में सुखाकर लगाएं (बीज से 5-6 साल लगते हैं) ।
- पौधों की संख्या: प्रति एकड़ 1,500-1,750 पौधे (8×8 फीट की दूरी पर) ।
- ट्रेलिस सिस्टम: Concrete poles (8ft height) + GI wires
3. ड्रैगन फ्रूट की किस्म
- Red Pitaya (हाई मार्केट डिमांड)
- Yellow Dragon (एक्सपोर्ट ग्रेड)
- टिशू कल्चर प्लांट्स (डिजीज-फ्री वैरायटीज)
3. सिंचाई और खाद
- ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छी: जलभराव से बचें ।
- खाद: गोबर की खाद (5-10 किलो/पौधा) ।
- फर्टिगेशन शेड्यूल: N:P:K – 12:12:17 (फ्लावरिंग स्टेज), Ca/Mg सप्लीमेंटेशन (फ्रूट क्वालिटी के लिए)
4. रोग प्रबंधन
- फंगस से बचाव: देसी गाय के दही में तांबे का तार डालकर छिड़काव करें ।
- कीट नियंत्रण: मिली बग्स के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक ।
4. बाजार और मार्केटिंग रणनीति
1. घरेलू बाजार
- शहरी मांग: मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु जैसे शहरों में स्वास्थ्य-जागरूक उपभोक्ता ₹200-400/किलो देने को तैयार हैं ।
- मंडी कनेक्शन: आजादपुर मंडी (दिल्ली), वसई मंडी (मुंबई) जैसे बड़े बाजारों से जुड़ें।
- B2B टाई-अप: Nature’s Basket, Reliance Fresh
- डायरेक्ट सेलिंग: फार्मर्स मार्केट, स्विगी इंस्टामार्ट
2. निर्यात के अवसर
- यूरोप और मध्य पूर्व: ऑर्गेनिक ड्रैगन फ्रूट की विदेशों में भारी मांग ।
- प्रोसेस्ड प्रोडक्ट: जैम, जूस और सप्लीमेंट्स बनाकर मूल्य वर्धित उत्पाद बेचें ।
एक्सपोर्ट रोडमैप
- APEDA रजिस्ट्रेशन (ESS Code)
- GAP सर्टिफिकेशन (GlobalGAP/IndiaGAP)
- लॉजिस्टिक्स पार्टनर: मैपल लॉजिस्टिक्स (कोल्ड चेन)
5. सरकारी सहायता और भविष्य की संभावनाएं
- बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कृषि विश्वविद्यालय ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं ।
- एग्री-टूरिज्म: किसान अपने फार्म को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकते हैं ।
- NHM सब्सिडी: horticulture.agriculture.gov.in
- ट्रेनिंग: ICAR-केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ, IIHR, बेंगलुरु से सर्टिफिकेशन।
6. एक्सपर्ट व्यू (डॉ. एस.के. सिंह, IIHR)
“2025 तक भारत ड्रैगन फ्रूट प्रोडक्शन में वियतनाम को चैलेंज कर सकता है, बशर्ते हम पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी पर फोकस करें।”
निष्कर्ष: ड्रैगन फ्रूट – किसानों के लिए स्वर्णिम अवसर
ड्रैगन फ्रूट की खेती न केवल पारंपरिक फसलों से हटकर एक नया विकल्प है, बल्कि यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता भी दिखाती है। जैसा कि महाराष्ट्र के दिगंबर चव्हाण और केरल की रेमाबाई ने साबित किया है, थोड़ी सी मेहनत और सही ज्ञान से कोई भी किसान इस खेती से लाखों रुपये कमा सकता है। “कम लागत, ज्यादा मुनाफा – किसान बदल रहे हैं किस्मत !”
“अगर आप भी खेती में नवाचार करना चाहते हैं, तो ड्रैगन फ्रूट आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है !” क्यों की “ड्रैगन फ्रूट सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि भारतीय किसानों के लिए इकोनॉमिक एम्पावरमेंट का टूल है !”
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