PPR Vaccination : भेड़ और बकरियों में जानलेवा पीपीआर का टीकाकरण

PPR Vaccination : PPR को पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर), जिसे भेड़ और बकरी के प्लेग के रूप में भी जाना जाता है। एक अत्यधिक संक्रामक पशु रोग है जो भेड़ और बकरियों में महामारी के रूप में फैल कर अत्यधिक नुकसान करता है । पीपीआर बीमारी में मृत्यु दर साधारणतया 50 से 80 प्रतिशत होती है, जो बहुत गंभीर मामलों में 100 प्रतिशत तक हो सकती है।

पीपीआर रोग के कारण

पीपीआर ( पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स ) रोग खतरनाक वायरस जीनस मॉर्बिलीवायरस , परिवार पैरामिक्सोविरिडे के कारण होता है। एक अत्यधिक संक्रामक पशु रोग है जो घरेलू और जंगली छोटे जुगाली करने वालों को प्रभावित करता है।

  1. बीमार जानवर के छींकने और खांसने से यह हवा के माध्यम से तेजी से फैलता है।
  2. पीपीआर वायरस, बीमार जानवर के आंख, नाक, लार और मल में पाया जाता है।
  3. परिवहन, गर्भावस्था, परजीवीवाद, अन्य बीमारी आदि के कारण भी यह रोग लग सकता है।
  4. सभी उम्र और नर और मादा अतिसंवेदनशील होते हैं। खास कर 3 माह से 1वर्ष के बीच के मेमने, बकरियों को पीपीआर रोग होने का खतरा जायदा होता है।
  5. भेड़ और बकरियां, पीपीआर रोग के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। बकरियों में भेड़ों की अपेक्षा ये रोग जल्दी फैलता है।

पीपीआर रोग के लक्षण

पीपीआर रोग होते ही भेड़-बकरियों में बुखार, मुंह के छाले, दस्त और निमोनिया हो जाता है, जिससे कभी-कभी इनकी मृत्यु हो जाती है। इससे इनके मुंह से अत्यधिक दुर्गंध आना और होठों में सूजन आनी शुरू हो जाती है। आंखें और नाक चिपचिपे या पुटीय स्राव से ढक जाते हैं, आंखें खोलने और सांस लेने में कठिनाई होती है कुछ जानवरों को गंभीर दस्त और कभी-कभी खूनी दस्त होते हैं. पीपीआर रोग गर्भवती भेड़ और बकरियों में गर्भपात का कारण भी बन सकता है।

  1. पीपीआर रोग से भेड़ और बकरियों में बुखार, मुंह के छाले, दस्त और निमोनिया हो जाता है, जिससे कभी-कभी इनकी मृत्यु हो जाती है।
  2. पीपीआर संक्रमण होने के दो से सात दिन में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
  3. इससे इनके मुंह से अत्यधिक दुर्गंध आना और होठों में सूजन आनी शुरू हो जाती है।
  4. आंखें और नाक चिपचिपे या पुटीय स्राव से ढक जाते हैं, आंखें खोलने और सांस लेने में कठिनाई होती है। कुछ जानवरों को दस्त और कभी-कभी खूनी दस्त होते हैं।
  5. पीपीआर रोग मुख्य रूप से कुपोषण और परजीवियों से पीड़ित मेमनों, भेड़ों और बकरियों में बहुत गंभीर साबित होता है।
  6. पीपीआर रोग से गर्भवती भेड़ और बकरियों में गर्भपात हो सकता है।
  7. ज्यादातर मामलों में, बीमार भेड़ और बकरी संक्रमण के एक सप्ताह के भीतर मर जाते हैं।

पीपीआर का टीकाकरण

PPR Vaccination : खतरनाक वायरस से होने वाली बीमारी पीपीआर से बकरियों को बचाने के लिए पीपीआर (पेस्टी डिस्पेस्टिीज रूमिनेंट) का टीका लगाया जाता है । पीपीआर को रोकने के लिए भेड़ और बकरियों का टीकाकरण ही एकमात्र प्रभावी तरीका है। टीकाकरण से पहले भेड़ और बकरियों को कृमिनाशक दवा देनी चाहिए।

टीकाकरण का समय

पीपीआर (बकरी प्‍लेग)- 3 महीने की उम्र पर । बूस्‍टर की आवश्यकता नहीं है। 3 वर्ष की उम्र पर दोबारा लगवाना चाहिए ।

पीपीआर रोग उपचार

इसके इलाज के लिए एंटीबायोटिक और एंटी सीरम दवाएं दी जाती हैं. इसमें पीपीआर के कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है. इससे मौत की संभावना बहुत हद तक कम हो जाती है

  • सबसे पहले स्वस्थ बकरियों को बीमार भेड़ और बकरियों से अलग रखा जाना चाहिए ताकि रोग को नियंत्रित और फैलने से बचाया जा सके इसके बाद बीमार बकरियों का इलाज शुरू करना चाहिए।
  • वायरल रोग होने के कारण पीपीआर का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। बैक्टीरिया और परजीवियों को नियंत्रित करने वाली दवाओं का उपयोग करके मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
  • आंख, नाक और मुंह के आसपास के घावों को दिन में दो बार रुई से साफ करना चाहिए।
  • इसके अलावा, मुंह के छालों को 5% बोरोग्लिसरीन से धोने से भेड़ और बकरियों को बहुत फायदा होता है।
  • फेफड़ों के द्वितीयक जीवाणु संक्रमण को रोकने के लिए पशु चिकित्सक द्वारा निर्धारित ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है।
  • बीमार बकरियों को पोषक, स्वच्छ, मुलायम और स्वादिष्ट चारा खिलाना चाहिए। पीपीआर महामारी फैलने पर तुरंत ही नजदीकी सरकारी पशु-चिकित्सालय में सूचना देनी चाहिए।
  • मरी हुई भेड़ और बकरियों को जलाकर पूरी तरह नष्ट कर देना चाहिए, साथ ही बाड़ों और बर्तन को शुद्ध रखना बहुत जरूरी है।

पशुपालन में लाभ के लिए आवश्यक है की पशु स्वस्थ रहे तो ही इससे अधिक लाभ कमाया जा सकता है । पीपीआर रोग में पशुपालक को समय पर टीकाकरण करने से भेड़ और बकरीपालन में इस रोग का बचाव होता है ।

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